उमंग | Kavita Umang
उमंग
( Umang )
भारतवर्ष हमारा है विकसित,
सभ्यता,संन्कृति भी है उन्नत,
षटॠतुऔं का होता आवाजाही
हर ॠतु में आते पर्व,वर्चस्व,माही।।
फाल्गुन पूर्णिमा में होली तौहार
रंग,गुलाल का बासंती विहार,
नाना उमंग का होता आप्लावन
नई नवेली बधु के लिए,रास,धन।।
संयोगी के लिए खास है परव,
नानाविध पकवान का लुत्फ,
इष्ट,मित्र मंड़ल संग होली,राम
उमंग का उठापटक भी उत्तम।।
उमंग मिलन का,देता सुकून,
गिला,सिकवा का न रहे स्थान,
चाहे हो घर परिवार या बाहर,
केवल स्वप्निल उमंग का बौछार।।
होलिका दहन से मिले प्रेरणा,
धर्म-परायण व्यक्ति है सम मणि
पति सुख से अल्हड़पन,उमंग,
लागे मोहन,सुहावन,गुलाल,रंग।।
श्रीमती अरुणा अग्रवाल
लोरमी, जिला मुंगेली, छ, ग,