वट सावित्री व्रत | Kavita Vat Savitri Vrat
वट सावित्री व्रत
( Vat Savitri Vrat )
( 2 )
अल्पायु सत्यवान का,
सावित्री संग व्याह हुआ,
दृढ़ संकल्पित सावित्री को,
इस बात से भय जरा न हुआ,
महाप्रयाण के दिन यमराज,
लेने आए जब प्राण सत्यवान,
संग सावित्री भी चलीं,
तब दिए यमराज वरदान,
थी ज्येष्ठ मास की अमावस्या,
वट के नीचे सावित्री ने करी तपस्या,
तभी से अखंड सौभाग्य हित,
शुरू हुआ वट सावित्री व्रत किस्सा।
आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)
( 1 )
वट वृक्ष पर बांध पावन मोली
मांग लेती है वह पति की उम्र
आस्था के दीप जलाकर
ले आती आंगन में उजास।
ये स्त्रियां कितनी भी हो आधुनिक
मेहंदी कंगन चुनरी भर मांग सिंदूरी
लाज समेटे पलकों में रित निभाती
आंचल में टांकती विश्वास के फूल।
सप्तपदी के सात वचन निभाने
वाम अंग थी आई वामंगिनी
अर्पण कल मंजुल मन मानिनि
ईश्वर से छीन लाए हृदय स्पंदन ।
लता सेन
इंदौर ( मध्य प्रदेश )