प्रभु श्रीराम पर दोहे | Prabhu Shri Ram Par Dohe
प्रभु श्रीराम पर दोहे
( Prabhu Shri Ram Par Dohe )
कल्प-कल्प अवतार ले,किए विविध प्रभु कर्म।
नित प्रति लीला गान से,रघुवर निभता धर्म।।1
रघुवर लीला गान सुन,कवि रचता नव काव्य।
श्रेय मिला जग में उसे,हुआ सहज संभाव्य।।2
युगों-युगों होता रहा,पाप पुण्य का खेल।
लेखा जोखा की नियति, राम कराएँ मेल।।3
छोड़ द्वंद्व मन के सभी,खोलो मन का द्वार।
राम नाम सुमिरन सदा,पनपे सहज विचार।।4
काम क्रोध मद लोभ से,युक्त सदा संसार।
राम नाम सुमिरन करो,राम करें भव पार।।5