ख़ामोश लब | Ghazal khamosh lab
ख़ामोश लब
( Khamosh lab )
हर घड़ी अच्छी नहीं ख़ामोश लब
कुछ बोलो मत रहो ख़ामोश लब
प्यार से आवाज़ देते हम रहे
और वो बैठे रहे ख़ामोश लब
जख़्म ऐसा कल वफ़ा में ही मिला
ग़म दिल में ही हो गये ख़ामोश लब
क्या सुनाऊँ शाइरी मैं दोस्तों
है किसी की यादो में ख़ामोश लब
एक भी बोली नहीं उसने बातें
देखते वो बस रहे ख़ामोश लब
ग़म मिले तो अपनों से ऐसे यहां
जिंदगी “आज़म” भरी ख़ामोश लब
❣️
शायर: आज़म नैय्यर