ख़्वाबों से है खाली नींद
ख़्वाबों से है खाली नींद
आँखों पर है भारी नींद
शोर बहुत है सड़कों पर
देखी हमने शहरी नींद
वो जग में किस्मत वाला
जिसको आये अच्छी नींद
मुश्किल गुज़रेगा ये दिन
जाग गया हूँ कच्ची नींद
ढूँढ़ रहीं मेरी रातें
फिर से बचपन वाली नींद
झाँक रही जो आँखों से
वो है दो दिन बासी नींद
खोल मुसाफ़िर अपने नैन
ले ली तूने काफ़ी नींद
हमको आदत जगने की
मत कर हमसे यारी नींद
ख़्वाब दिखाये जो सच्चे
वो ही तो है सच्ची नींद
याद तुम्हारी जब आयी
करवट करवट जागी नींद
एक ख़ता करने के बाद
सोये हैं हम आधी नींद
‘अहद’ जो लाये ख़्वाब तेरा
लगती वो ही प्यारी नींद !
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लेखक :– अमित ‘अहद’
गाँव+पोस्ट-मुजफ़्फ़राबाद
जिला-सहारनपुर ( उत्तर प्रदेश )
पिन कोड़-247129