खो गया कहीं 

खो गया कहीं | Ghazal kho gaya kahin

खो गया कहीं 

( Kho gaya kahin ) 

 

खो गया कहीं खुशियों का ही रास्ता मेरा
जीस्त का सफ़र ये कुछ ऐसा कटा मेरा

 

कर यकीन मैं तुझसे ही वफ़ा निभाऊंगा
दिल कभी न होगा ये यार बेवफ़ा मेरा

 

जंग जीत लूंगा मैं तो कभी मुहब्बत की
दिल का ही कभी टूटेगा न हौसला मेरा

 

कौन साथ देता है मुश्किल में यहाँ देखो
अब बदल गया वो भी जो था आशना मेरा

 

हो सका नहीं मेरा इस जहान में जो भी
आजकल उसे ही दिल रात दिन सोचता मेरा

 

रोज़ ही ग़मों का पहरा रहा यहाँ तो बस
जीस्त का ख़ुशी से कब व़क्त ये कटा मेरा

 

एक पल सकूं से ही रह पाया नहीं आज़म
इश्क़ में सकूं दिल का ऐसा लुट गया मेरा

 

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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