Khoobsurati ki Tareef par Kavita
Khoobsurati ki Tareef par Kavita

खूबसूरत

( Khoobsurat ) 

 

खूबसूरत नज़र आती हो,
अदाओं से भी लुभाती हो,
आती हो जब भी सामने
सच में कयामत ढाती हो।

माथे पर बिंदी सजाती हो,
आँखों में कजरा लगाती हो,
महकाती हो बालों में गजरा
सच में कयामत ढाती हो।

हाथों में मेहंदी रचाती हो,
चूड़ी कंगना खनकाती हो,
ओढ़ती हो जब तुम दुपट्टा
सच में कयामत ढाती हो।

मोतियों का हार सजाती हो,
पायल अपनी बजाती हो,
करते हैं घुँघरू छम छम
सच में कयामत ढाती हो।

नैनो के तीर चलाती हो,
घायल तुम कर जाती हो,
आती हो जब भी सामने
सच में कयामत ढाती हो।

 

कवि : सुमित मानधना ‘गौरव’

सूरत ( गुजरात )

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