खुशियों की नई भोर

( Khushiyon ki nai bhor ) 

 

राखी के स्नेहिल धागों में, खुशियों की नई भोर

अंतर्मन अनंत आह्लाद,
अनूप उत्सविक परिवेश ।
शुभता सरित प्रवाह,
बहना घर द्वार प्रवेश ।
श्रृंगारित पुनीत संबंध,
रक्षा बंधन भव्यता चारों ओर ।
राखी के स्नेहिल धागों में, खुशियों की नई भोर ।।

सनातनी दिव्य संस्कृति,
मनहर परंपराएं श्री वंदन ।
आत्मिक भाव तरंगिनी,
अपनत्व अंतर मंडन ।
कष्ट कंटक मूल विलोपन,
स्पर्शन मंगल कामना छोर ।
राखी के स्नेहिल धागों में, खुशियों की नई भोर ।।

भगिनी हिय प्रस्फुटित,
भ्राता समृद्ध जीवन कामना ।
आरोग्यता यशस्विता हित,
प्रतिपल घट स्तुत आराधना ।
दृढ़ संकल्पित सहोदर ,
बहन रक्षा वचनबद्ध ठोर ।
राखी के स्नेहिल धागों में, खुशियों की नई भोर ।।

रक्षा बंधन परम पर्व,
नारी सशक्ति सम्मान संदेश ।
देवलोक भी अति हर्षित गर्वित,
दर्शन कर प्रीत माधुर्य धरा देश ।
सर्व असीम हार्दिक शुभकामनाएं,
रक्षा बंधन सदा रहे आनंदिता सराबोर ।
राखी के स्नेहिल धागों में, खुशियों की नई भोर ।।

 

महेन्द्र कुमार

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