Kisan kavita

किसान

( kisan par kavita )

 

खुशनसीब होते हैं वो, जो खेतों में रहा करते हैं।
भूमिपुत्र  किसान,  कृषि  कार्य किया करते हैं।
अन्नदाता  देश  का, जिसमे  स्वाभिमान भरा।
भेज  देता  लाल सीमा पर, रक्षा हेतु मातृधरा।

 

तपती धूप सहता रहता, तूफानों से टकराता है।
बहा  पसीना  खेतों  में, वो ढेरों अन्न उगाता है।
देश प्रेम रग रग में भरा, लाल भेजता सीमा पर।
स्वाभिमानी वीर बने वो, आंच आए गर धरा पर।

 

कभी ओला कभी कोहरा, अतिवृष्टि हो जाती।
कड़ी  मेहनत  किसान  की, बेकार  चली जाती।
दुर्दशा देख किसानों की, कलेजा मुंह को आता।
दिनकर भी ना देता साथ, सिर पर आग बरसाता।

 

हल्की नोक से लिखता, सदा देश की तकदीर।
गांव में रहकर भी सजग, बदले वतन की तस्वीर।
अन्नदाता  देश  का  वो, धरती का प्यारा लाल।
माटी से जुड़कर भी, दिखाता हुनर का कमाल।
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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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