Emotional ghazal

हर बुराई को न यूं अंजाम दो

( Har burai ko na yoon anjaam do )

 

हर बुराई को न यूं अंजाम दो

देश में अच्छाई का पैग़ाम दो

 

दो गवाही सच के हक़ में ए हबीब

यूं नहीं झूठा मुझपे इल्जाम दो

 

दी वफ़ाये हर घड़ी मैंनें तुम्हे

यूं नहीं तुम बेवफ़ा का नाम दो

 

यूं न लो पैसे जियादा हूँ ग़रीब

की सही से  दाल आटा  दाम दो

 

जो किसी को भूल जा “आज़म” सदा

एक  पीने  को  ऐसा  वो  जाम  दो

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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