Krishna kanhaiya geet

किशन बाँसुरी तूने जब भी बजाई

किशन बाँसुरी तूने जब भी बजाई

किशन बाँसुरी तूने जब भी बजाई
तेरी राधिका भी चली  दौड़ी आई

नहीं और कुछ देखने की तमन्ना
तुम्हारी जो  मूरत है मन में समाई

हुई राधिका सी मैं भी बाबरी अब
कथा भागवत माँ ने जब से सुनाई

रहे भक्त तेरी शरण में सदा जो
भंवर से उसी की है नैया बचाई

किया नाश‌ तुमने  अधर्मी का जग में
सदा सत्य की राह सबको दिखाई

दिया कर्म का ज्ञान सारे जगत को
चहूँओर ऐसी  अलख है जगाई

लगी नाचने कामिनी होश खोकर
अजब साँवरे तुमने लीला  रचाई

डॉ कामिनी व्यास रावल

(उदयपुर) राजस्थान

यह भी पढ़ें:-

हमारा वतन | Ghazal Hamara Watan

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *