उपासना स्थल | क्षणिका
उपासना स्थल | kshanika
उपासना स्थल भव्य हों
ऊंँची मीनारें, बुर्ज़ तने हों।
उपासना करने वाले बौने चरित्र हों
तो कैसे रक्षा करेंगे विशालकाय देवालय।।
( साहित्यकार, कवयित्री, रेडियो-टीवी एंकर, समाजसेवी )
भोपाल, मध्य प्रदेश
1) दृश्य बाहर देख मैं देखता अपने अंदर मौजूद काव्यात्मा 2) मैंने लिखी ये कविताएं कि सुन सकूं स्वयं को भारी शोर के बीच 3) जब चिल्लाते हो तुम कविता होती है निर्भय 4) इस बार किसी की ले ली होगी जान मेरे शब्द वाण 5) होती है अदावत शुरु होठों से 6) मैं लिखने…