दीप जलाए प्रेम के | Kundaliya chhand
दीप जलाए प्रेम के
( Deep jalaye pyar ke : kundaliya chhand )
दीप जलाए प्रेम के,पावन है अति पर्व।
अनुरंजन वंदन करें,आज सभी को गर्व।
आज सभी को गर्व,जगत फैला उजियारा।
बढ़े परस्पर प्रेम, बढ़ाएं भाईचारा।
लक्ष्मी देव गणेश, आरती मंगल गाये।
खुशियां मिले अपार ,प्रेम के दीप जलाये।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )