क्या मुझसे दोस्ती करोंगी?

( Kya mujhse dosti karogi ) 

 

क्या मुझसे दोस्ती करोंगी?
मै महफिल दोस्तों की नही सजाती,
दोस्त ही मेरी महफिल कहलाती,
कुछ अलग नजरिया है मेरे,
कुछ अलग आदतें रखती हूं,
हा जिससे सच्ची दोस्ती करती हूं,
आखरी सांस तक निभाती हूं,
क्या मुझसे दोस्ती करोंगी?
बोहोत सच्ची नजर आती हैं आंखे,
नही है कोई भी होटों पर दिखावे,
दिल तो आयना सा साफ रखती हो,
क्या अब मुझे अपनी दोस्त कहती हो?
जिंदगी के नए रंग में रहता हूं,
क्या मेरे संग दोस्ती का सफर तय करोंगी ?
तुम मुझे बोहोत पसंद हो,
सच्ची तुम बोहोत अच्छी हो.
अब तो बता दो मुझसे दोस्ती करोंगो?
कुछ खास नही मुझमें,
मगर मैं अपने सपनो के पास रहना पसंद करती हूं,
मैं अपनो के खुशी का खरीदार कहलाती हूं,
मैं थोड़ा गैर जवाबदार कहलाती हूं

 

नौशाबा जिलानी सुरिया
महाराष्ट्र, सिंदी (रे)

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