लौटकर वो नहीं आया है गांव में
लौटकर वो नहीं आया है गांव में
लौटकर वो नहीं आया है गांव में!
रह गया हूँ तन्हा मैं तो गांव में
शहर में तो नफ़रतों के है साये
दोस्ती है प्यार है देखो गांव में
देखते है शहर में नजरें नफ़रत से
आ रहेगे दोनों सनम चल गांव में
जब मिला कोई वफ़ा का दर नहीं
लौट आया हूँ नगर से गांव में
शहर में तो नफ़रतों के है बबूल
प्यार के गुल खिल रहे है गांव में
शहर में तल्ख़े जुबानी है आज़म
उल्फ़त की बातें होती है गांव में