पास मेरे आ हमजोली
पास मेरे आ हमजोली

पास मेरे आ हमजोली

( Paas Mere Aa Hamjoli )

 

पास मेरे आ हमजोली

खेलें उल्फ़त की होली !

 

उल्फ़त को दिल में रख लो

मारो  नफ़रत  को गोली

 

 

इस जग में सबसे बढ़कर

सूरत  लगती  वो  भोली

 

ज़हर न घोलो होली में

बोलो मीठी अब बोली

 

प्यार  भरी  खेलें  होली

आओ बनाकर हम टोली

 

होली के रँग से ‘आज़म’

भीग गयी उसकी चोली !

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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