मां कूष्मांडा | Maa Kushmanda
मां कूष्मांडा
( Maa Kushmanda )
चौथे दिन नवरात्रि के, जिनकी की जाती उपासना,
पूजा की जाती विधान से, कहलाती वो मां कूष्मांडा।
ब्रह्मांड की रचियता मां, सृष्टि की आदिस्वरूप, आदिशक्ति,
सूर्यमंडल के भीतर लोक, निवास करे मेरी महामाई।
शरीर की कांति और प्रभा, सूर्य भांति ही दैदीप्यमान,
दसों दिशाएं प्रकाशित होती, मां का भव्य तेज, प्रकाश।
अष्टभुजी मां कूष्मांडा, सात भुजाएं अस्त्र, शस्त्र से शोभित,
सिद्धि, निधि की जपमाला, एक भुजा मां करती धारण।
सिंह सवारी मां करती, भक्तों के दुख, रोग, कष्ट हरती,
अयल्प सेवा और भक्ति से, मां कूष्मांडा प्रसन्न हो जाती।
नन्द किशोर बहुखंडी
देहरादून, उत्तराखंड
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