
खूबी मां की
( Khoobi maa ki )
मां तेरे आँचल में,
हर पल सलोना देखा है।
मार कर मुझे,
तुझको रोता मैंने देखा है।
डांटना तो बस,
तेरा नाराजगी जताने का,
प्यारा तरीक़ा है,
देती खुशियां ही खुशियां,
क्या???
तू कोई फरिश्ता है।
Phd करके भी तू,
क्या??
गिनती भूल जाती है।
मांगता रोती एक,
दो लेकर आती है।
बिना थर्मामीटर के,
बुखार माप जाती है।
कैसी डॉक्टर है तू???
बस स्पर्श करके,
ताप जान जाती है।
उदास होता हूं,
तो सीने से लगाती है।
गम कोई छू न ले मुझे,
आँचल में छुपाती है।
गलती मेरी,
पापा से डांट,
तू क्यूं खाती है।
बता ना माँ??
तू कैसे???
इतना सब कर जाती है।
प्रतापगढ़, ( उत्तरप्रदेश )