महादान | Mahadaan kavita
महादान
( Mahadaan )
शैनेः शैनेः बढो सनातन, हिन्दू अपने शान मे।
सवा रूपईया दान करो तुम,मन्दिर के निर्माण में।
इक पत्थर ही लगवा देना,रामलला के धाम में।
जैसे इक नन्ही सी गिलहरी,राम सेतु निर्माण मे।
देने वाले ईश्वर है तो, भक्ति भाव गर्वित कर लो।
जन्म सुधर जाएगा तेरा,जीवन की अर्पित कर दो।
क्या लेकर के आया है और,क्या लेकर के जाएगा।
पुण्य रहेगा साथ सदा कि,राम का घर बनवाया है।
जिसके नव निर्माण का सपना,हिन्दू मन मे दबा रहा।
बलिदानों की अमिट श्रृंखला,सरयू तट पर जमा रहा।
गर्व करो इस काल खण्ड का,जिसमे तूने जन्म लिया।
हूंक नही हुंकार भरो, श्रीराम को तूने भवन दिया।
कमी नही होगी तुमको जो, मन से तुमने दान दिया।
युगों युगों तक पुण्य अमिट जो,मन्दिर का निर्माण किया।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )