मानवता बना एक खिलौना

( Manavta bana ek khilona ) 

खिलौनों से खेलते खेलते कब आदमी आदमी से खेलने लगा,
गुड्डे गुड़ियों से खेलते खेलते ना जाने कब
गुड्डा,गुड्डी का बलात्कार करने लगा,
कितना आसानी से सबने गुड्डी को खिलौना बना दिया,
पर हर गुड्डा बुरा नहीं ये किसी ने सोचा ही नहीं,
कभी ये क्यों नहीं देखा गुड्डी ने गुड्डे को बदनाम कर दिया,
अपने अधिकारों के गलत उपयोग से गुड्डे का मान सम्मान उछाल दिया,
एक तरफा खेल खिलौनों का,
एक तरफा खेल अब मानवता का बन गया।।

#कड़वी है मगर सच्चाई एक यह भी है

 

रचनाकार : योगेश किराड़ू
बीकानेर ( राजस्थान )

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