मंजूर के दोहे
मंजूर के दोहे

मंजूर के दोहे
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1.

शूल समान तू तेज हो, भेदो हरेक बाधा
पहुंचोगे तुम शीर्ष पर, लक्ष्य कठिन नहिं ज्यादा

2.

पथिक तू चलते चला जा, लक्ष्य दूर न ज्यादा
आशा भाव मन मा लिए, हर लोगे तुम बाधा

3.

धरा हमारी उर्वरा, फसलन की नहिं सोच
लाओ बीज कंद मूल के, उगालो मिट्टी खोद

4.

प्रकृति का मन सागर,भरले जाकर गागर
उतना ही तू समेटना,फटे ना तेरी चादर

5.

विषम काल में मंद पड़ो, धीमी कर लो चाल
धैर्य राख चलते जाओ,लघु होवेहि यह काल

 

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नवाब मंजूर

 

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

 

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