मुंडो देख टीकों काडै
( Marwadi geet )
घर तरसै बार बरसै, घर घर की कहाणी है
मुंडो देख र टीकों काडै बातां आणी जाणी है
दुनिया घणी स्याणी है
दुनिया सारूं हंस बतलावै काम निकाळै सगळो
टैम निकळ ज्या जाणै कोनी च्याहे चोखो धड़ो
ईब पीसां री पूछ होय री बुजुर्गा न कुण पूछै
आव आदर करणों जाणो स्याणा नै कोनी सुझै
बिगड़ रियो माहौल सगळो शहर गांव ढाणी है
दुनिया घणी स्याणी है
काळजै म सांप लोटरया बोल्या म मिसरी घोळे
कान काट दे बड़ा-बड़ा का भरी दोपारी दिन धोळै
मन मेलो पोशाका धोळी रुतबो राजकुमार सो
फोकट में ग्यान बाटे बेरो कोनी घरबार को
भाईचारा हेत छूटग्या ईब तो तीखी बाणी है
दुनिया घणी स्याणी है
पेली हाळो प्रेम कठै बै दिन कठै सुहाणी रात कठै
हिवडै हेत घणों बरसतो भायां री मीठी बात कठै
मरवण जोहती बाटड़ल्यां बै पणघट बै घाट कठै
सुख री नींदा सोया करता जेवड़ी री खाट कठै
लोगां रो के मुंडो पकडै दुनिया न बात बणाणी है
दुनिया घणी स्याणी है
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )