
मत पूछो हाल फकीरों के
( Mat pucho haal phakiron ke )
किस्मत रेखा तकदीरो के, भाग्य की चंद लकीरों के।
कल क्या होगा वो रब जाने, मत पूछो हाल फकीरों के।
मत पूछो हाल फकीरों के
अलबेला मनमौजी बाबा, अपनी धुन में रमता जाता।
हाथों में लेकर इकतारा, जीवन का अनुराग सुनाता।
समय समय का फेर यहां है, मिल जाते ठाट अमीरों के।
कब करवट किस्मत बदल दे, खुल जाए भाग्य ज़ीरो के।
मत पूछो हाल फकीरों के
रुखा सुखा ठंडा बासी, हरि कृपा से मिल जाता है।
दाने-दाने पर नाम लिखा, किस्मत वाला ही पाता है।
नीली छतरी वाला बैठा, कब बाग सजा दे हीरो के।
छप्पर फाड़कर देने वाला, ताले खोले जंजीरों के।
मत पूछो हाल फकीरों के
साधु-संत सयाने मिलते, झोली वाले फकीर मिले।
मौला की मस्ती में रहते, हृदय शिकवे ना कोई गिले।
परवरदिगार पर भरोसा, संग रहता प्रभु वीरों के।
पग पग पर परीक्षा लेता, दंभ हरता वो अमीरों के।
मत पूछो हाल फकीरों के
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )