मतदान | Matdan par kavita
मतदान
( Matdan )
( 3 )
पलट दो सत्ता को
पलट दो आवाम
पर्व है लोकतंत्र का
चलो चले करें मतदान
लालच बुरी बला है
संकट इससे कहां टला है
स्वयं में स्वतंत्र बनो
नहीं तुम परतंत्र बनो
वोट हमारी पूंजी है
समर्थ देश की कुंजी है
जात धर्म मजहब से ऊपर
देश हमारा बढे उत्तरोत्तर
हमें दृढ़ सरकार बनाना है
कदम कदम मिला बढ़ाना है
देश में हमारी भी भागीदारी है
मतदान हमारी जिम्मेदारी है
घर से निकाल करें श्रमदान
लोकतंत्र का है पर्व हमारा
चलो चलें करें मतदान
डॉ बीना सिंह “रागी”
( छत्तीसगढ़ )
( 2 )
जागो उठो मतदाता मतदान करना है
भागो चलो मतदाता मतदान करना है
चुनाव का पावन पर्व गर्व करें
चयन नेता का मतदान करना है
पांच सालों बाद आता यह दिन
मत भेद भूल मतदान करना है
लोक तंत्र में मत की शक्ति
मन मुटाव मिटा मतदान करना है
योग्य कर्मठ शिक्षित ईमानदार को चुनो
विकास पुरूष को मतदान करना है
दिलो दिमाग़ बुद्धि ईश्वर ने दी
विनम्र व्यक्ति को मतदान करना है
लोग आते राजनीति में धन कमाने
परख पेहचान कर मतदान करना है
कसोटी पर खरा नहीं ठोकर मारो
सच्चे नेक को मतदान करना है
झूठा वादा झांसा बाज़ से दूर
सयाने सजन्न को मतदान करना है
पांच साल मूड़ कर नहीं देखा
हमदर्द इंसान को मतदान करना है
पव्वे पुलाव पूड़ी की लालच बुरी
विकास के वास्ते मतदान करना है
निज हित्त नहीं जन हित्त देखना
बिना राग द्वेष मतदान करना है
जन सेवक बन सेवा करे ‘कागा’
चाल चरित्र देख मतदान करना है
कवि साहित्यकार: तरूण राय कागा
पूर्व विधायक
( 1 )
लोकतन्त्र का सबसे बड़ा ये त्योंहार,
मत देना हम सभी का है अधिकार।
करना निस्वार्थ होकर सभी मतदान,
राष्ट्रहित में बनाएं आज ये सरकार।।
निश्चय करके ही फिर वोट तुम देना,
ऐसे अवसर से कोई वंचित न होना।
बिक न जाना नशें व कुछ रुपयों में,
बहकावे और लालच में नही आना।।
आज स्त्री पुरुष जागरुक हो जाओ,
खुशी खुशी से मत केन्द्र पर जाओ।
स्वतन्त्र होकर सब कर्तव्य निभाओ,
न्याय देशप्रेमी अपना नेता बनाओ।।
कदम मिलाकर जो सबके संग चलें,
संयुक्त परिवार पूरे देश को वो माने।
ऐसे महान इन्सान को हम नेता चुनें,
दुःख व दर्द हर निर्धन का जो जानें।।
एक-एक मत की कीमत को समझें,
१८ अवस्था में जिम्मेंदारी समझ लें।
सारा सच उम्मीदवार विजयी बनाएं,
घरों से निकलें और मतदान कर लें।।