दिया है हक हमें
लड़ने का
बढ़ने का
डटने का
सपने देखने का
बोलने का
समानता का
अपनी मर्ज़ी से पूजन शिक्षण करने का
आजादी से देश घूमने का।
किसी भूभाग में आने जाने का
बसने और
कमाने खाने का।
न कोई रोक टोक
न कोई भेदभाव
सभी समान इसकी नज़रों में
चाहे दीन हो या साव।
व्यवस्थाएं की गई हैं कई,
ताकि सोचें सीखें ज्ञान नई नई।
क्रमानुसार अनुच्छेदों में किया है प्रावधान,
बाबा साहब ने लिखी यह संविधान;
उनके हम पर हैं कई एहसान।
जरूरी है उनके बताए मार्ग पर चलने की,
संवैधानिक दायरे में रहकर बढ़ने की।
हक हुकूक के लिए लड़ने की,
एकता सौहार्द स्थापित करने की।
साजिशों को दरकिनार करने की,
साजिशकर्ताओं को सबक सिखाने की;
संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने की।
हमारा अभिमान हमारा संविधान।
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