हमारा संविधान | Kavita
हमारा संविधान
( Hamara Samvidhan )
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( Hamara Samvidhan )
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परहित सरिस धर्म नहिं भाई ( Parhit Saris Dharam Nahi Bhai ) मोहिनी मूरत हृदय समाई, परहित सरिस धर्म नहिं भाई। पीर हरे जाकी रघुवीरा, तरहीं पार सिंधु के तीरा। जाके घट व्यापहीं संतापा, सुमिरन रामनाम कर जापा। प्रेम सुधारस घट रघुराई, परहित सरिस धर्म नहिं भाई। मन मलीन…
चक्र सुदर्शन धारी ( Chakra sudarshan dhari ) चक्र सुदर्शन धारी केशव लीला अपरंपार तेरी मंझधार में डूबी नैया आकर करना पार मेरी मुरली मोहन माधव तेरी मधुर मनोहर शान है सकल चराचर के रखवाले जन करे गुणगान है संकट मोचन मोहिनी मूरत मुरली अधर सुहानी कृष्ण कन्हैया दीनदयाला भजन करते सुरज्ञानी…
अपना हिंदुस्तान अलग है ( Apna hindustan alag hai ) हम सब तो हैं भारतवासी वे रखते पहचान अलग। अपना हिन्दुस्तान अलग है उनका हिन्दुस्तान अलग।। वे उड़ते एरोप्लेन से हम सब उनके रन वे हैं। वे मक्खन हम मठा सरीखे हम पर अमर बेल वे है।। वे तो हैं…
जीवन तरंगिणी ( Jeevan tarangini ) जीवन की इस तरंगिणी में, तेरे साथ बहता हूँ,हर लहर में तेरा नाम लेकर मैं खुद को ढूंढता हूँ।तेरे बिना भी दिल की धड़कनों में तू ही बसी रहती है,बस एक तेरे वजूद से ही तो मेरी दुनिया चलती है। हर ख्वाब में तेरे संग होने का एहसास पाता…
हिंदी हमारी मातृभाषा ( Hindi hamari matrabhasha ) ये हिंदी हमारी ऐसी मातृ-भाषा, सरल शब्द में इसकी परिभाषा। विश्व में सारे गौरवान्वित करती, ३३ व्यंजनों से बनी राज भाषा।। हिन्द की भाषा का करो बखान, जिससे गूंजें ये सारा ही जहान। करो गुणगान और बनो विद्वान, हिन्द की हिंदी गूंजें सारे जहान।। हिंदी भाषा…
मैं आ रहा हूँ ( Main Aa Rahan Hoon ) कान तरस गए यह सुनने को, “मैं आ रहा हूँ” एक बार तो कह दीजिए प्रभु! “मैं आ रहा हूँ” अँखियाँ बिछा देती मैं राह में, बांवरी मैं हुई आपकी चाह में, कब से राह मैं तक रही हूँ, सहन पीड़ा करने कैसे सक रही…