Mobile se Doori Banaye
Mobile se Doori Banaye

मोबाईल से दूरी बनाएं

( Mobile se doori banaye ) 

 

मोबाईल के इस शोख ने आज सबको हिला दिया,
छोटे-बड़े बच्चें एवं बुड्ढे सबको नाच ये नचा दिया।
टेलिविज़न रेडियों एवं एसटीडी को भी भुला दिया,
पाश्चात्य संस्कार संस्कृति धीरे-धीरे ये छुड़ा दिया।।

धूल-भरी है आज ज़िंदगी व सब जगह पर ‌गन्दगी,
खो गई है मुस्कान सभी की व भूल रहें है बन्दगी।
इन्सान इन्सान से दूर होकर वो बन रहें है मतलबी,
अश्लीलता की सीमा-तोड़कर जी रहें है ज़िन्दगी।।

ले रहें वह सेल्फी-फ़ोटो और कर रहें चैटिंग सैटिंग,
लड़के चाहें हो लड़कियां वे बन रहें है आज किंग।
अपनें ही अपनों को छलकर यह पहना रहें है रिंग,
आज कम आयु में ही कर रहें है यह ब्लैकमेलिंग।।

बुरा असर पड़ता है इस मोबाईल से इन बच्चों पर,
नेत्र कमजोर संग रहता है चिड़चिड़ेपन का यें डर।
स्वास्थ्य एवम मस्तिष्क पर भी पड़ता है दुष्प्रभाव,
जो युवा पीढ़ी को पतन की तरफ़ करता अग्रसर।‌।

टू जी थ्री जी फोर जी और फाईव जी भी आ गया,
ये जीवन की सच्चाई लिखकर मैंने तो बता दिया।
खेलकूद छोड़कर मोटा चश्मा नेत्रों पर लगा लिया,
मोबाइल की दुनिया में ये इंसान अकेला हो गया।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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