Mohabbat ki Ghazal
Mohabbat ki Ghazal

मोहब्बत की ग़जल

( Mohabbat ki ghazal )

 

मोहब्बत की ग़जल तुमको, सुनानी थी, सुना दूं क्या।

कहानी दिल की अपने भी, बतानी थी बता दूं क्या।।

 

चलो तुम भी कदम कुछ तो, चलूंगा मैं कदम सारे

ये अपने बीच की दूरी, मिटानी थी, मिटा दूं क्या

 

कवि भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई,  छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )

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