मदर्स डे

मदर्स डे | Mother’s day kavita

 

 मदर्स डे 

( Mother’s day kavita )

 

मां अपने बच्चों से रूठती ही कब है
बच्चे भले ही रुठ जाएं
पर, मां क्या कभी रूठती है?

 

#मदर्स डे साहब!आजकल
कौन मना रहे हैं?
वहीं लोग मना रहे हैं
जो अपने घर और माँ से दूर रहते हैं
जो कई महीनों, सालों तक
उनसे मिलते तक नहीं है
क्या माँ को एक ही दिन मनाना है?
बाकि दिनों में क्यों भूल जाते हैं।

 

#मदर्स डे तो वे लोग मनाते हैं
जो कभी पूछते नहीं मां का हाल
हम क्यों मनाएँ #मदर्स डे?
हमारे संग तो माँ हरदम रहती है।
पर,उनके बाकि दिन तो #Other डे है
शायद वे इसलिए मनाते हैं #मदर्स डे।

 

जो एक दिन #मदर्स डे मनाकर
उनके साथ #सेल्फी लेकर
बाहरी हँसी हँसकर खुश हो जाते हैं
पर,मां की तो वही बेबसी है
उसका पता है, #सेल्फी लेकर
चले जाएंगे सब यहां से
और लोगों को दिखाएंगे कि
हम अपनी मां का सम्मान करते हैं।

 

लेखक :सन्दीप चौबारा
( फतेहाबाद)
यह भी पढ़ें :-

मैं चाहता हूं बस तुमसे | Prem kavita in Hindi

 

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12 Comments

  1. मेरी कविता प्रकाशित करने के लिए आपका स्नेहिल धन्यवाद जी???????????

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