मर्यादा | Muktak maryada
मर्यादा
( Maryada )
सत्य शील सद्भावो के जग में फूल खिलाना है
प्यार के मोती अनमोल खुशियों का खजाना है
मर्यादा पालक रामचंद्र जी महापुरुष कहलाए
पावन वो परिपाटी हमें जन्म-जन्म निभाना है
हर्ष खुशी आनंद बरसे प्रेम की बहती हो धारा
जहां मर्यादा जिंदा है सुख सागर उमड़े सारा
अनीति अनाचार से रावण वंश विनाश हुआ
जय सदा सत्य पाता हो विमल विचार हमारा
दया क्षमा करुणा भावों का प्रेम का संचार करो
मर्यादा में रह जीवन में सपनों को साकार करो
कूटनीति छल छिद्रों से सुखी नहीं रह पाओगे
पुण्य कर्म कर धरा पे ईश्वर का आभार करो
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )