
क्रांतिवीर
( क्रांति दिवस पर अमर शहीदों के जज्बातों को सादर वंदन )
है हिमालय सा हौसला, सागर सी गहराई है।
क्रांति काल में वीरों ने, प्राणों की भेंट चढ़ाई है।
हंसते-हंसते झूल गए, वो क्रांतिवीर कमाल हुए।
राजगुरु सुखदेव भगतसिंह, भारत मां के लाल हुए।
आजादी का दीवाना, वो जिद पर अड़ सकता है।
बलिदानी पावन पथ पर, देशभक्त बढ़ सकता है।
झंडा ऊंचा रहे हमारा, सदा तिरंगा शान रहे।
जुबां जुबां पर वंदे मातरम, गीतों से जय गांन रहे।
जयहिंद का गूंजे नारा, सरहद की सीमाओं में।
भारत मां जयकारे गुंजे, हर घाटी फिजाओं में।
राष्ट्रधारा में झूम रही है, हर युवा तरुणाई जो।
आजादी उत्सव आया, खुशियों से झोली भर लो।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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