Muskura kar Yoon na Jao
Muskura kar Yoon na Jao

मुस्कुरा कर यूं ना जाओ

( Muskura kar yoon na jao ) 

 

मुस्कुरा कर यूं ना जाओ लो सनम अब आके मिलो‌।
फूल सा चेहरा यह नाजुक सा जरा खिला के मिलो।
मुस्कुरा कर यूं ना जाओ

अधरों के मोती लुटा दो देखो दिल में प्यार भरा।
ओढ़कर धानी चुनरिया देखो झूम रही है धरा।
प्रीत की झड़ी यूं बरसे बरसते सावन से मिलो।
उमड़ता प्रेम का सागर सरिता बन आके मिलो।
मुस्कुरा कर यूं ना जाओ

खोल दिल की खिड़कियां झरोखों से झांको जरा।
महकते चंदन की खुशबू लो दामन में रखो जरा।
बहती बहारों इन हवाओं में फिजाओं सी खिलो।
दिल की धड़कने पुकारे आओ सनम हमसे मिलो।
मुस्कुरा कर यूं ना जाओ

महक जाए मन की बगिया बज उठे दिल के तार।
गीतों की हर लड़ियों में भावों की बरसे रसधार।
शब्दों के मोती सी माला धारा बन किनारों से मिलो।
दिल के दरवाजे खुले हंस हंस के सनम हमसे मिलो।
मुस्कुराकर यूं ना जाओ

 

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

शब्दों की डोली गजलों की दुल्हन | Shabdon ki Doli

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here