
न जाने कौन सी बीमारी है
( Na Jane Kaun Si Bimari Hai )
जिगर में दर्द अश्क जारी है।
न जाने कौन सी बीमारी है।।
शुकून लाऊं तो लाऊं कैसे,
हर तरफ बहुत पहरेदारी है।।
चार कंधों पर सज गया बिस्तर,
क्या मेरे जाने की तैयारी है।।
मुहब्बत खेल नहीं बच्चों का,
तमाम उम्र की बेकारी है।।
बुझ गया दीप शेष चुपके से,
रात भी बहुत कारी कारी है।।
कवि व शायर: शेष मणि शर्मा “इलाहाबादी”
प्रा०वि०-नक्कूपुर, वि०खं०-छानबे, जनपद
मीरजापुर ( उत्तर प्रदेश )
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