Nafrat Nahi
Nafrat Nahi

नफरत नही

( Nafrat nahi ) 

 

नफरत नही हमे
किसी धर्म,पंथ या मजहब से
हमे नफरत है तो बस
अमानवीय कृत्यों से
उनके विचारों से सोच से
दरिंदगी भरे कामों से….

आतंकी उनकी विचारधारा से
हमे नफरत है
बहन बेटियों की इज्जत से
करते खिलवाड़ से
गला घोटने से टुकड़ों तक मे बांटने से
आगजनी ,पत्थरबाजी से….

नफरत है ,पाशविक प्रवृत्ति से
गलत मानसिकता से
विश्वासघात,दगाबाजी से
किसी ,व्यक्ति विशेष , जाति विशेष से कोई दुराव नही
हमे नफरत नही किसी से….

क्यों पाले बैठे हैं अलगाव
क्यों बेचकर जमीर मानवता का
बांट रहे इंसानों को
करे रहे क्यों बाध्य
अपनी ही मानसिकता की ओर
स्वच्छंद जीवन और खुले विचारों के
अपनेपन से क्या आपत्ति है
मिलजुलकर रहने ,साथी
सहयोगी पन से
क्यों प्रेम की भावना जोड़ नही पाते….

सीमा की भी एक हद्द होती है
बर्दास्त और सहनशीलता के बाहर
कुछ भी क्षम्य नही हो पाता
फिर ,जीवन का मूल्य ही समाप्त हो जाता है
और तब,
शेष बचता है सिर्फ विध्वंस
या तू नही या फिर मैं नही
मरी हुई मानवता मे
तब मानव ,मानव रहता ही
कहां है

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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