नहीं हूँ मैं | Nahi Hoon Main
नहीं हूँ मैं
( Nahi Hoon Main )
पुख़राज़ कोहिनूर या गौहर नहीं हूँ मैं
लूटे जो बज़्म तेरी वो शायर नहीं हूँ मैं
बूढ़ा हूँ उम्र से हुआ जर्जर नहीं हूँ मैं
दीवार-ओ- दर है साथ में खंडर नहीं हूँ मै
कमतर नहीं अगर सुनो बदतर नहीं हूँ मैं
लेकिन किसी अमीर का चाकर नहीं हूँ मैं
शीशे का जिस्म है मेरा जज़्बात रूह भी
इस शहरे संग का कोई पत्थर नहीं हूँ मैं
हसरत है दिल में ज़िंदा है एहसास प्यार का
जो चुभता हूँ किसी को वो नश्तर नहीं हूँ मैं
बेचूँ न अपना ईमां किसी दाम पर कभी
रिश्वत हो धर्म जिसका वो अफ़सर नहीं हूँ मैं
ये चाँद ये सितारे मेरा कहना मान लें
नूरानी ऐसा कोई भी पैकर नहीं हूँ मैं
मीना रहा हूँ तन्हा हज़ारों की भीड़ में
आकर मिले नदी कोई सागर नहीं हूँ मैं
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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