हर तरफ़ उजाला है | Har Taraf Ujala Hai
हर तरफ़ उजाला है
( Har Taraf Ujala Hai )
आज जो हर तरफ़ उजाला है
मेरी ग़ज़लों ने रंग डाला है
रोज़ करता हूँ मैं ग़ज़ल गोई
शायरों का यही निवाला है
हमने पुरखों की इस विरासत को
जैसे तैसे भी हो सँभाला है
तब कहीं जाके शायरी आई
दिल के भीतर बहुत खँगाला है
लोग उड़ने लगें ख़यालों में
हमने मफ़हूम वो निकाला है
हर किसी को है आज हैरानी
हर ग़ज़ल में नया हवाला है
मुझको शोहरत ग़ज़ल ने दी इतनी
मुझसे मंसूब हर रिसाला है
सारी महफ़िल ही कह उठी साग़र
शेर तेरा हरेक आला है