इंसान | Insaan
इंसान
( Insaan )
हर सू हैं झूठे इंसान
अब कम हैं सच्चे इंसान
मेरी मुट्ठी में भगवान
करता है दावे इंसान
अपनी ख़ुदग़र्ज़ी में अब
भूल गया रिश्ते इंसान
सोच समझ के कर विश्वास
अब कम हैं अच्छे इंसान
लोगों को जो चुभ जाये
शौक़ न वो पाले इंसान
जिस रस्ते पर दाग़ लगे
चले न उस रस्ते इंसान
एक ख़ुदा के हैं बंदे
दुनिया के सारे इंसान
देख न पीछे मुड़कर तू
बढ़ता चल आगे इंसान
इश्क़ ‘अहद’ है शय ऐसी
सुध-बुध खो नाचे इंसान !