Narendra Kumar

नरेन्द्र कुमार की कविताएं | Narendra Kumar Poetry

जोगीरा


जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
सास तिरथ ससुर तिरथ
तिरथ साला साली बा
सढुआरा से बड़ नाता ना
मेहररूए तारणहारी बा
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
दु दर्जन शाली दु दर्जन सरहज
एको अंग में रंग ना लागल
विस्तर रह गईल खरहर
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
मरद के मेहरारू मानत नईखी बात
सास ननद के रखस ना तनिको लिहाज
नईहरे में उनकर बसे ला सांस
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
बेटा बेटी संग मिल माई लगावें ली युक्ती
सभ्यता संस्कृति से उ चाहें ली मुक्ति
गृह देवता कुल देवता न घर के लोग भावे
छिछियात चलत ऊ, येने वोने धावें
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
बड़का बड़का सब नेता बारें आपसी मित्र
आम जनता के लड़ावें
गरिबों की लड़ाई लड़ते-लड़ते
खुद हो जावे अमीर
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
बैंकाक में छुट्टी मनावे
बर्थडे हवाई जहाज में
रिश्ता नाता इधर उधर
वोट चाहिए जात पे
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
कभी धर्म की बात करें
कभी करें जात की बात
बढ़त समाज में बुराई बाटे मिटे नहीं आज
लोग के टुकड़ा में बांट के बनत बारे सरताज
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
नेताजी अउर गूलर में बहुत बा समानता गूलर के फूल न दिखे ओईसे नेताजी दिखें ना
चुनाव के समय फल जैसा बिछौना
सब में किड़ा लागल कहु खा नाही सकेला
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
कल्हीयों जयचंद रहें आजो जयचंद बाड़े
सनातन संस्कृति के भाग छोड़
पंथ मजहब मन भावें
बोलअ हई रे हई रे हा…
१०
जोगीरा सरा र.. जोगीरा सरा रा..
समाज में आज बाड़े बड़े बड़े बड़ बोल
अपना के योद्धा राजा पुत्र बतावे लोग
मुफ्त आ अनुकम्पा खातिर कटोरा फैलावे दिल खोल
बोलअ हई रे हई रे हा…

होली में हो गया खेला

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला,

केजरीवाल देखत रहें सिएम के सपना
झूठ का राज हो उसका अपना,
जनता ने धड़के धकेला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

सब लोग पकावत रहें अपन-अपन पुवा
जनता के छनवटा से छनके,
मुंह झुलस के भईल गुलगुला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला
झरेला होली में हो गया खेला।

जे पहीड़ के दिखावत रहें घुरमुचल कुर्ता
देश के इज्जत के बनावत रहे भर्ता,
ऊ पहीड़ के घूमता बारे झूला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

नेता जी रंग देखी गिरगिट सरमाईल
मुफ्त के झांसा में जनता ना आईल,
नाम उनकर गिरगिटवाल धराईल झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

सोफा लागल रहे लागल रहे गद्दा
रौशन दान में भी लागल रहे पर्दा,
गरिबी दिखा शिश महल में रहेला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

जउन रहे कड़वा उ भईल मिठाई
नीम कड़वाहट केकरो न भाई,
चाहे बिमारी कितनो बढ़ जाई झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

दश वर्ष कईले उ नाटकीय शासन
पंद्रहवीं वर्ष के लिए चाहत रहें राशन,
जनता सब समझेला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

नेता जी का बा बड़े बड़े भाषण
मैदान में भीड़ जुटेले लाखन,
फिर भी राज्य के दिन ना बहुरेला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

नेताजी के बड़े बड़े वादा
सेना और राष्ट्रवाद विरोध करें ज्यादा,
भारत की जनता देश की अपमान ना सहेला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

नरेन्द्र कुमार
बचरी (तापा) अखगाॅंव, संदेश, भोजपुर (आरा),  बिहार- 802161

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