Narendra Kumar

नरेन्द्र कुमार की कविताएं | Narendra Kumar Poetry

नव संवत्सर

नव संवत्सर विक्रम संवत आइए मिलकर हर्ष मनाएं हम
चैत्र है प्रथम महीना, शुक्ल प्रतिपदा का आओ हर्ष जताएं हम ।

नव संवत्सर विक्रम संवत झूमे नाचे गाकर उत्सव मनाएं हम
चैत्र मास ही श्री हरि विष्णु ने श्री राम रूप में लिया अवतार,
इसी मास में ब्रह्माजी ने सृष्टि का किया विस्तार।
नव संवत्सर के लिए ईश्वर को धन्यवाद जताएं हम।

चैत्र है प्रथम महीना, शुक्ल प्रतिपदा का आओ हर्ष जताएं हम।

चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को महावीर स्वामी का हुआ जन्म
चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं हम,
राजकुमार ध्रुव तपस्या कर ध्रुव तारा के रूप में हुए स्थापित
मान बढ़ा सम्मान बढ़ा, अंधकार में भी जिससे दिशा पाएं हम।

चैत्र है प्रथम महीना, शुक्ल प्रतिपदा का आओ हर्ष जताएं हम।

शिव कृपा से काम देव पुनर्जन्म पाएं
हर हिन्दू मिल जुलकर नव वर्ष उत्सव मनायें
महिषासुर र्मदनी ने की थी कठोर तपस्या
हम सभी जिनकी करें उपासना आशीष पाएं।

चैत्र है प्रथम महीना, शुक्ल प्रतिपदा को आओ हर्ष जताएं हम।

गौरव गाथा

शेरों जैसी गर्जना जिनकी, रण में बिजली से चमके ,
मातृभूमि पर शीश चढ़ा दें, वे वीर अनोखे दमके।
प्रताप की गाथा गूंज रही, हल्दीघाटी के रण में,
भूपालों ने बलिदान दिया, दुश्मन कांपे क्षण में।

राणा सांगा वीर प्रबल थे, रण में तनिक न झुके,
घाव सहकर भी लड़े सदा, दुश्मन दल सहमीं रहे।
बप्पा रावल सिंह सम थे, हिंद की ढाल कहाए,
अरब, तुर्क, खिलजी को, रण में धूल चटाए।

हम्मीर देव की प्रतिज्ञा, चित्तौड़ की शान बढ़ाए,
रणभूमि में सिंह समान, दुश्मन को झुकाए।
पृथ्वीराज की तीखी दृष्टि, बाणों में जादू थे रखते,
एक तीर से काम तमाम, शत्रु संग्राम में थें डरते।

जयमल-फत्ता के बलिदान, चित्तौड़ की माटी गाए,
रण में लड़े वीरों सम, दुश्मन पीठ दिखाए।
रानी कर्णावती ने भी, राणा कुल की लाज बचाई,
मेवाड़ की माटी के खातिर, सिन्दूर की जोत जलाई।

महाराजा सूरजमल की तलवार, जैसे प्रलय थी चलती,
दिल्ली तक जिसने हिला दिया, वीरता नभ में थी गूंजती।
पद्मिनी जैसी नार यहाँ पर, जौहर की ज्वाला रचती,
शत्रु जब जब पास बढ़े, तब रणभेरी गरजती ।

तेजाजी के घोड़े की टापें, अब भी इतिहास में गूंज रही,
राजपूती रग-रग में शौर्य, हर युग में अमर रही।
सिंहों की संतान ये सारे, रण में कभी नहीं थे झुके,
हर बंधन तोड़ अमर हुए, वे स्वाभिमान में थे जीते।

वीरों की गाथा लिखने को, इतिहास भी अभिमानी है,
जब तक गंगा, जब तक यमुना, तब तक यह कहानी है।

जोगीरा


जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
सास तिरथ ससुर तिरथ
तिरथ साला साली बा
सढुआरा से बड़ नाता ना
मेहररूए तारणहारी बा
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
दु दर्जन शाली दु दर्जन सरहज
एको अंग में रंग ना लागल
विस्तर रह गईल खरहर
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
मरद के मेहरारू मानत नईखी बात
सास ननद के रखस ना तनिको लिहाज
नईहरे में उनकर बसे ला सांस
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
बेटा बेटी संग मिल माई लगावें ली युक्ती
सभ्यता संस्कृति से उ चाहें ली मुक्ति
गृह देवता कुल देवता न घर के लोग भावे
छिछियात चलत ऊ, येने वोने धावें
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
बड़का बड़का सब नेता बारें आपसी मित्र
आम जनता के लड़ावें
गरिबों की लड़ाई लड़ते-लड़ते
खुद हो जावे अमीर
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
बैंकाक में छुट्टी मनावे
बर्थडे हवाई जहाज में
रिश्ता नाता इधर उधर
वोट चाहिए जात पे
बोलअ हई रे हई रे हा…

जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
कभी धर्म की बात करें
कभी करें जात की बात
बढ़त समाज में बुराई बाटे मिटे नहीं आज
लोग के टुकड़ा में बांट के बनत बारे सरताज
बोलअ हई रे हई रे हा…



जोगीरा सरा रा.. जोगीरा सरा रा..
कल्हीयों जयचंद रहें आजो जयचंद बाड़े
सनातन संस्कृति के भाग छोड़
पंथ मजहब मन भावें
बोलअ हई रे हई रे हा…
१०
जोगीरा सरा र.. जोगीरा सरा रा..
समाज में आज बाड़े बड़े बड़े बड़ बोल
अपना के योद्धा राजा पुत्र बतावे लोग
मुफ्त आ अनुकम्पा खातिर कटोरा फैलावे दिल खोल
बोलअ हई रे हई रे हा…

होली में हो गया खेला

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला,

केजरीवाल देखत रहें सिएम के सपना
झूठ का राज हो उसका अपना,
जनता ने धड़के धकेला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

सब लोग पकावत रहें अपन-अपन पुवा
जनता के छनवटा से छनके,
मुंह झुलस के भईल गुलगुला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला
झरेला होली में हो गया खेला।

जे पहीड़ के दिखावत रहें घुरमुचल कुर्ता
देश के इज्जत के बनावत रहे भर्ता,
ऊ पहीड़ के घूमता बारे झूला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

नेता जी रंग देखी गिरगिट सरमाईल
मुफ्त के झांसा में जनता ना आईल,
नाम उनकर गिरगिटवाल धराईल झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

सोफा लागल रहे लागल रहे गद्दा
रौशन दान में भी लागल रहे पर्दा,
गरिबी दिखा शिश महल में रहेला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

जउन रहे कड़वा उ भईल मिठाई
नीम कड़वाहट केकरो न भाई,
चाहे बिमारी कितनो बढ़ जाई झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

दश वर्ष कईले उ नाटकीय शासन
पंद्रहवीं वर्ष के लिए चाहत रहें राशन,
जनता सब समझेला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

नेता जी का बा बड़े बड़े भाषण
मैदान में भीड़ जुटेले लाखन,
फिर भी राज्य के दिन ना बहुरेला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

नेताजी के बड़े बड़े वादा
सेना और राष्ट्रवाद विरोध करें ज्यादा,
भारत की जनता देश की अपमान ना सहेला झरेला
होली में हो गया खेला।

होली में हो गया खेला झरेला
होली में हो गया खेला।

नरेन्द्र कुमार
बचरी (तापा) अखगाॅंव, संदेश, भोजपुर (आरा),  बिहार- 802161

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