हां नारी हूं मैं | Nari Poem
हां नारी हूं मैं
( Haan naari hoon main )
पग पग संभल रही ,
कहा किसी परिस्थिति से हारी हूं मैं
निकाल लेती मार्ग खुद अपना
हां नारी हूं मैं ।
मन विचलित होता तो ,
मोन हो सफर करती तय मैं अपना
कहा जिमेदारि से किसी हारी हूं
हां नारी हूं मैं!
आड़े टेडे मार्ग पर भी ,
सुनिश्चित करती हूं लक्ष्य अपना
बना लेती हूं अपनी ही डगर
हां नारी हूं मैं ।।
आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश