Poem Dekho Holi Aayi Re

होली देखो आई रे | Poem Dekho Holi Aayi Re

होली देखो आई रे!

( Holi dekho aayi re ) 

 

मल दे अबीर मोहें,
होली देखो आई रे!
तन-मन पे मस्ती छाई रे!
होली देखो आई रे!

नयना से नयना कोई जोड़े,
चढ़ती जवानी पे डोरे डाले।
ताकधिन-ताकधिन होने लगे,
रंगों की बौछार सहने लगे।
मिलने लगे जब अंगों से अंग,
फूलों का बाण चलाये अनंग।
रुत वो सुहानी फिर छाई रे,
होली देखो आई रे!
तन-मन पे मस्ती छाई रे!
होली देखो आई रे!
मल दे अबीर मोहें,
होली देखो आई रे!

मुखड़ा गुलाबी देखने लगा अब,
महुवे से रस भी टपकने लगा अब।
कोयल की हूक भी उठने लगी,
सपने में गोरी चिहुकने लगी।
लहंगे तक पहुँची चिंगारी,
उसको बुझाई पिचकारी।
एक दूजे ने पकड़ें कलाई रे,
होली देखो आई रे!
तन-मन पे मस्ती छाई रे!
होली देखो आई रे!
मल दे अबीर मोहें,
होली देखो आई रे!

 

रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),मुंबई

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