नारी शक्ति
नारी शक्ति (अबला नहीं)
नारी हूं मैं नारायणी,
शक्ति का अवतार।।
अबला नहीं समझो मुझको,
नहीं समझो लाचार।।
सबला हूॅ॑ लक्ष्मीबाई सी,
सती सीता कहलाऊं।।
प्रेम सरिता राधारानी,
ज्योति स्वरुपा बन जाऊं।।
मुझसे ही है सृष्टि सारी,
जगति का आधार।।
मुझसे से ही चले गृहस्थी,
फूले-फले घर-द्वार।।
नारी रूप है नारायणी का,
इसके रूप हैं हजार।।
माॅ॑ बेटी बहन पत्नी रूप में,
इसी से चलता ये संसार।।
बेटी रूप में कन्या पूजन,
माॅ॑ रूप में मातृशक्ति।।
पत्नी रूप में बनी अन्नपूर्णा,
इसी से चलती है गृहस्थी।।
इसके हृदय बसे सदा ही,
ममता प्यार और दुलार।।
जब होता ह्रदय आहत,
तब लेती शक्ति अवतार।।
शिव की शक्ति बनी है नारी,
और बनी जग का आधार।।
जिसने भी ललकारा इसे,
तत्काल हुआ उसका संहार।।
हारी है न कभी हारे किसी से,
नारी शक्ति की महिमा अपार।।
आ जाए जब अपनी जिद पे,
तब लेती दुर्गा काली अवतार।।
कोमल हृदय नारी का,
करो नहीं अपमान।
युग -युगों से पूजित हैं,
रमते श्री भगवान।।

कवयित्री: दीपिका दीप रुखमांगद
जिला बैतूल
( मध्यप्रदेश )
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