अपरा शक्ति नारी | Nari shakti par kavita
अपरा शक्ति नारी
( Apara shakti nari )
आज की नारी तेरी यही कहानी
कदम से कदम मिलाकर चलती हो
नारी तुम हो इस जगत की महारानी
मोहताज नहीं पौरुषता की तुझे
किसी आश्रय की मोहताज नही
ऐसी महान नारी शक्ति हो तुम
तू ही दुर्गा तू ही काली तू लक्ष्मी
तू ही शारदा है माँ सीता भवानी
तू ही सब माया है तू सबकी साया
तू ही महाशक्ति की है रक्त की रवानी
तुम ही माता हो हमारी बहन भी हमारी हो
अहर्निशं सेवारत पत्नी तुम ही हो
प्रेमिका रूप में प्यार हमारी हो
पुरुषों की सफलता की राज हो तुम
सुख,शांति,समृद्वि,शक्तियां रब में तुमसे है
तेरी महिमा सारे जग में महान
नारी खुद से खुद को तू पहचान
नर ही नहीं ऋषि मुनि देवता भी
करते नही थकते हैं तेरा गुणगान
घर नहीं चाहे बाहर भी संग्राम हो
हर एक बाजी रक्षण बन जीती तुम
मौके पे राज्य भी चलाया है तुमने
खेलकूद भाग दौड़ ही केवल नहीं
हर कार्य का संचालन तुमने किया
कोई शक्ति तुमसे बड़ी नहीं रब में
हो प्रकृति का तुम अनुपम उपहार