नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) सप्तम दिवस
नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) सप्तम दिवस
नवरात्रि पर्व पर पहले अपना करो सुधार ।
आत्म रमण में जाने के यह सुखद भव पार ।
निज पर शासन फिर अनुशासन सुखकार ।
खुद पहले सुधरे तो सुधरे यह सारा संसार ।
नवरात्रि पर्व पर पहले अपना करो सुधार ।
आगम में प्रभु ने बतलाया शाश्वत नित्य धर्म की छाया
आत्मा के भव कम करने का सुखद मार्ग ।
धर्म श्रेष्ठ हितकारी सबका मोक्ष सूखो का द्वार ।
नवरात्रि पर्व पर पहले अपना करो सुधार ।
ओरो को दोषी ठहराते अपने को निर्दोष बताते ।
कैसे अपना जाल बिछाते सज्जन को वे सदा सताते ।
नवरात्रि पर्व पर पहले अपना करो सुधार ।
पा करके वे मानव जीवन केवल ढोते भार ।
बात बात में झगड़े करते पापों से वे कभी न डरते ।
पाप राग द्वेष का मूल जानते हुए नहीं छोड़ पाते ।
नवरात्रि पर्व पर पहले अपना करो सुधार ।
अहं भावना दिल में धरते अमृत घट में जो विष भरते ।
कौड़ी बदले गमा रहे क्यों मानव जीवन हीरा बेकार ।
मानव जीवन अनमोल सुखद जानते नहीं ध्याते ।
नवरात्रि पर्व पर पहले अपना करो सुधार ।
भुवाल माता का ध्यान करने से कर्म हल्के होते ।
जो भुवाल माता का स्मरण करता जीवन को वह सफल बनाता ।
डूब रही जीवन नौका को कर लो भव से पार ।
नवरात्रि पर्व पर पहले अपना करो सुधार ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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