ये दुनिया किसी और की है | Ye Duniya Kisi aur ki Hai
ये दुनिया किसी और की है
( Ye duniya kisi aur ki hai )
कदम -कदम पे जवानी उछाला न करो,
खाओ न उबाल क्रोध पाला न करो।
मैले न कहीं हो जाएँ रिश्तों के लिबास,
इश्क की अर्थी तू निकाला न करो।
बदल दो दुनिया की जलती तस्वीर को,
जंग में जंग को तू ढाला न करो।
टुकड़े -टुकड़े न करो लोगों की खुशियाँ,
आस्तीनों में सांपों को पाला न करो।
मत थूका करो किसी की गरीबी पर,
उसकी जवाँ बेटी से मुँह काला न करो।
ठहराव और सुकूँ से जी रहा है कोई,
उसकी जिन्दगी में खलल डाला न करो।
तुम अलग से एक साँस ले नहीं सकते,
कभी किसी की पगड़ी उछाला न करो।
ये दुनिया किसी और की है समझो,
तू उल्टा -पलटा रोग पाला न करो।
हो सके लोगों के हक में करो दुआ,
मुसीबत में किसी को डाला न करो।
कोई गौरैया चोंच में ला रही है पानी,
तू लगी आग में घी डाला न करो।
रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),
मुंबई