सजा मां दरबार निराला | Navratri ke bhakti geet
सजा मां दरबार निराला
( Saja maan darabaar niraala )
सब के दुख हरने वाली, सजा मां दरबार निराला।
रणचंडी खप्पर वाली, दुर्गा महाकाली ज्वाला।
सिंह सवार मात भवानी, तेरी लीला अपरंपार।
तू है सृष्टि नियंता, तू ही मां जग की करतार।
त्रिशूल चक्र कर सोहे, गदा शंख अरू भाला।
भक्तों की मात भवानी, सजा दरबार निराला।
चंड मुंड मार गिराया, रक्तबीज को भस्म किया।
दुष्टदलनी शक्ति स्वरूपा,भक्तों को अभय किया।
ब्रह्मचारिणी शैलपुत्री, महागौरी कुष्मांडा माता।
कालरात्रि कात्यायनी, सिद्धिदात्री स्कंद माता।
चंद्रघंटा मस्तक सोहे, रूप अनूप मन को मोहे।
केहरी वाहन दस भुजधारी, अभय मुद्रा मां सोहे।
आराधक चरणों में तेरे, मधुर कंठ ले मोती माला।
सबकी झोली भरने वाली, सजा दरबार निराला।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )