Bolo vo Kaise
Bolo vo Kaise

बोलो वो कैसे जीता होगा

( Bolo vo kaise jeeta hoga )

 

देखा न हो जिसने, जीवन में खुशियां
बोलो वो कैसे जीता होगा ।

ह्रद्दय हो जिसका खारे मय का सागर
बोलो वो कैसे पीता होगा ।।

पेट के खातिर, दिन में टहले
रात अंधेरी घर को दहले,
बिन स्याही के कलम न बहले
बोलो वो गीत रसीले, कैसे लिखता होगा ।।

देखा न हो जिसने जीवन में खुशियां
बोलो कैसे जीता होगा ।।

धाव अनेक हो, जिसके दिल मे
जैसे दाना, चीटी बिल में
हाथ पड़े हो छाले ।
बोलो वो जख्मों को नस्तर
कैसे देता होगा ।

देखा न हो जिसने जीवन में खुशियां
बोलो वो कैसे जीता होगा ।।

जिसने दिया ये नाम मुझे
किया उसी ने बदनाम मुझे
दुनिया देखे दिन और रात
बोलो वो खोटा सिक्का
कैसे चलता होगा ।

देखा न हो जिसने जीवन में
खुशियां
बोलो वो कैसे जीता होगा ।

ह्रदय हो जिसका खारे मय
का सागर
बोलो वो कैसे पीता होगा ।।

 

रोशन सोनकर

ग्राम व पोस्ट जोनिहां,तहसील बिंदकी,

जनपद फतेहपुर ( उत्तर प्रदेश )

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