नई उमंगें सज रहीं

( Nayi Umange saz rahi  )

 

नई उमंगें सज रहीं,बाईस जनवरी अभिनंदन में

पुनीत पावन जन चितवन,
सर्वत्र शुभता सरित प्रवाह ।
अयोध्या पूजित दिव्य अक्षत,
रामलला निमंत्रण गवाह ।
विग्रह स्थापना अनूप दर्शन,
घर द्वार उत्सविक वंदन में ।
नई उमंगें सज रहीं,बाईस जनवरी अभिनंदन में ।।

अंतःकरण रचित वसित,
अयोध्या अनुपम छवि ।
रग रग रज रज अनुपमा,
अनंत तेजस्विता सम रवि ।
कलयुग स्नेहिल सौम्य प्रयास,
भव्य दर्शन त्रेता स्पंदन में ।
नई उमंगें सज रहीं,बाईस जनवरी अभिनंदन में।।

कल्पना अब मूर्त आकार,
अलौकिक मंगल बेला ।
रामराज्य शंखनाद श्री,
मानवता श्रृंगार नवेला ।
आदर सुसंस्कार मर्यादा संग,
अपनत्व अथाह संबंध मंडन में ।
नई उमंगें सज रहीं ,बाईस जनवरी अभिनंदन में।।

दीपमालिका सदृश उपमा,
हर मुंडेर राम ज्योति पर्याय ।
भजन कीर्तन व्रत उपासना,
धर्म संस्कृति नव अध्याय ।
सर्व कल्याण परम संदेश,
राम स्तुति प्रसाद रंजन में ।
नई उमंगें सज रहीं हैं,बाईस जनवरी अभिनंदन में ।।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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