श्री राम मंदिर

( Shri Ram Mandir )

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श्री राम को मंदिर बन ही गया,
भारत माता हरषाईं है ।
ये जीत सनातन धर्म की है ,
घर-घर में खुशियां छाई हैं।।

श्री राम टेंट में रहते थे
ऐसे बीते थे साल कई।
लंबा संघर्ष किया है जब,
किरणें आशा की जगी नईं।।
मंदिर तो यहीं बनाएंगे,
ये ठानी फिर तरुणाई है।।
श्री राम को मंदिर बन ही गया,
भारत माता हरषाईं है……

अब नव युग आने वाला है ,
इतिहास पुराना बदल गया।
है प्राण प्रतिष्ठा मंदिर में ,
मंदिर भी कितना भव्य बना।
जागा हिंदू जागा भारत
श्री राम की महिमा गाई है ।
श्री राम को मंदिर बन ही गया
भारत माता हरषाईं हैं…..

अब राम राज फिर आएगा ,
जन मानस राममयी होगा ।
अपना कर रामचरित निर्मल,
निज धर्म ध्वज लहराएगा।
सिया राम लखन हनुमान सहित
सब देवों की अगुवाई है ।
श्री राम को मंदिर बन ही गया,
भारत माता हरषाईं हैं,
ये जीत सनातन धर्म की है
घर घर में खुशियां छाईं हैं।।

श्रीमती अनुराधा गर्ग ‘ दीप्ति ‘

जबलपुर ( मध्य प्रदेश )

 


( 1 )

 

हो रहा श्री राम मंदिर निर्माण जन जन के हृदय में खुशियां अपार,
भारत भूमि में फैलेगी अब चहुं ओर सुख शांति और संस्कार।

हर हिन्दू का था ये सपना श्री राम जी को मिले स्थान अपना,
बरसों से देखते आए थे जिसे हम आज हुआ वो पूरा सपना।

इस सपने को पूरा करने वर्षों से कितनी कोशिशें जारी थी,
कैसी कैसी मुसीबतें झेली किसी ने लाठियां भी खाई थी।

बरसों के संघर्ष की सफलता से जन मन प्रफुल्लित हुआ,
रामभक्तों के मन में खुशियां छाई हृदय भी आल्हादित हुआ।

अब रामजन्म भूमि अयोध्या समूचे विश्व में जानी जाएगी,
यह पावन भूमि अब श्री राम के नाम से ही पहचानी जाएगी।

इस सपने के पूरा होने से करोड़ों भक्तों का सपना हुआ साकार,
देश विदेशों में गूंजेगा अब श्री राम लला की जयजयकार।

अयोध्या राम मंदिर में अब विराजेंगे श्री राम लला,
दर्शन उनके पाकर दूर हो जाएंगी सबकी बला।

मन कहता कितना भाग्यशाली हूं यहां जन्म जो पाया,
जिस पावन भूमि पर सदा से रही है ईश्वर की छाया।

हार्दिक इच्छा हरि चरणों में समर्पित अब अपना जीवन करूं,
श्री राम कृपा पाने खातिर नित्य-निरंतर वंदन-सुमिरन करूं।

अब तक जीवन बीता है पालन करने घर परिवार में,
मन की इच्छा है बाकी जीवन बीते प्रभु के दरबार में।

राम नाम का गुणगान करते अगर अंत हमारा आएगा,
प्रभु नाम सुमिरन के प्रताप से जीवन सफल हो जाएगा।

इसलिए जीवन का सार मैं आप सबसे करता हूं वर्णन,
जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्ति पाने नित्य करो हरि दर्शन।।

रचनाकार  –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )

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