Nazm Chikhloli Station

चिखलोली स्टेशन | Nazm Chikhloli Station

चिखलोली स्टेशन

( Chikhloli Station )

चिखलोली स्टेशन बनाने लगे हैं,
वर्षो के ख्वाब वो सजाने लगे हैं।
अभी तक बना है न ऐसा स्टेशन,
मेरे दिल के तार वो गुदगुदाने लगे हैं।

शैशव अवस्था में अभी हमने देखा,
निगाह-ए -तलब वो बढ़ाने लगे हैं।
उतरते हैं बादल इसे चूँमने को,
छूकर हँसी वो लुटाने लगे हैं।

बर्षों – बरस हम तरसे हैं कितना,
दांतों तले उंगली दबाने लगे हैं।
दोपहर कि धूप हो या सावन की बारिश,
मंजर हमें ललचाने लगे हैं।

जवाँ जिस्म देखेगी एकदिन दुनिया,
तसव्वुर में इसको बसाने लगे हैं।
सुकूँ ही सुकूँ है औ खुशी ही खुशी है,
पलकों पे मुझको बिठाने लगे हैं।

मुकद्दर के दाने वो हैं पकनेवाले,
काफिले बहारों के आने लगे हैं।
उगलेंगी सोना यहाँ की जमींनें,
कारोबारियों को लुभाने लगे हैं।

Ramakesh

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )

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