आँखों की नमी मुहब्बत को जाहिर कर देता है

आँखों की नमी मुहब्बत को जाहिर कर देता है

आँखों की नमी मुहब्बत को जाहिर कर देता है     आँखों की नमी मुहब्बत को जाहिर कर देता है इंसान को मुहब्बत भी ज़रा कायर कर देता है   यह नहीं है की में तुझसे बात करना नहीं चाहता बात बात पर तेरी आँखें मुझको बाहिर कर देता है   तेरे साथ, तुझ से…

प्रेम में पड़ कर

प्रेम में पड़ कर

प्रेम में पड़ कर   अक्सर प्रेम से ओत प्रोत पुरूष समर्पित कर देता है पत्नी के हिस्से का प्रेम अपनी प्रेमिका को खुद के अस्तित्व को स्वयं ही नष्ट कर लेता है और….. ढूँढता है अपना अस्तित्व प्रेमिका के अंदर अस्तित्वहीन पुरूष स्वयं ही खत्म कर लेता है अपना महत्व और……… महत्वहीन पुरूष नहीं…

दुख की घङियां सुखों में यूं ढल जाती है

दुख की घङियां सुखों में यूं ढल जाती है

दुख की घङियां सुखों में यूं ढल जाती है     दुख की घङियां सुखों में यूं ढल जाती है। जैसे  फूलों  में  कलियां  बदल जाती है ।।   आँधियों में   अग़र  वो खुदा  चाहे   तो। फिर  से  बुझती  हुई  लौ भी जल जाती है।।   हैं   नादां चाहे जो  शोहरत  को   वो   । फूल …

कलह ( हाइकु )

कलह ( हाइकु )

कलह ( हाइकु ) *** १) कलह करे घर संकट भरे- बेमौत मरे । २) कलह कांटा जिस आंगन उगे- नाश ही करे। ३) कलह विष नहीं हों आवेशित- घर दूषित। ४) कलह बुरा परिवार बिखरे- नहीं निखरे। ५) सुलह हल कलह है गरल- संकट प्राण। ६) कलह बांटे छिन्न भिन्न संबंधी- विकास रूके। ७)…

सादगी तेरी और तेरी जवानी

सादगी तेरी और तेरी जवानी

सादगी तेरी और तेरी जवानी     सादगी तेरी और तेरी जवानी। है दिलों को लगती ये कितनी सुहानी।।   यूं ही रूठ जाना खुद ही फिर मान जाना। उम्र होती मासूम सी ये दीवानी ।।   ख्वाब यूं ही बुनती किसी की ना सुनती। खूं में है इसके कुछ अज़ब सी रवानी।।   अंखियों…

दिल-ए-नादान

दिल-ए-नादान

दिल-ए-नादान     दिले नादान तुझे कहीं का रहने न दिया। ये कौन जाग जाग कर हमें सोने न दिया।।   मुद्दतों बाद नज़र आयी थी बहार मुझे, बज्म में राज खुल जाने का डर रोने न दिया।।   लोग नहला धुला के कब्र तक पहुंचा आये, मेरे घर में मुझे कुछ देर भी रहने…

पेड़

पेड़

पेड़ ?   पत्र पुष्प फलादि माया कौन देता। पेड़ न होते तो छाया कौन देता।।   बगीचों को काट रेगिस्तान न कर, प्राण वायु जो खपाया कौन देता।।   पेड़ों में भी जान है जहान भी है, चूल्हे में लकड़ी लगाया कौन देता।   “दसपुत्र समद्रुमः”शेष बतलाते हो, औषधी जीवन बचाया कौन देता।  …

हाँ जीस्त ख़ुशी से ही रब आबाद नहीं करता

हाँ जीस्त ख़ुशी से ही रब आबाद नहीं करता

हाँ जीस्त ख़ुशी से ही रब आबाद नहीं करता     हाँ जीस्त ख़ुशी से ही रब आबाद नहीं करता हर रोज़ ख़ुदा से फ़िर फ़रयाद नहीं करता   हाँ शहर में होते कितने क़त्ल न जाने फ़िर इक मासूम को वो जो आजाद नहीं करता   मैं पेश नहीं आता फ़िर उससे अदावत से…

फूल चाहत

फूल चाहत

फूल चाहत     फूल मैंनें प्यार का भेजा उधर है ! नफ़रत का तेजाब आया वो इधर है   हो गया है गुम कहीं ऐसा कहां वो अब मुझे मिलती नहीं उसकी ख़बर है   इसलिए बेजार दिल रहता है मेरा जीस्त में मेरी ग़मों का ही असर है   ढूंढ़ता ही मैं रहा…

जीवन का आनंद (दोहे)

जीवन का आनंद (दोहे)

जीवन का आनंद **** (मंजूर के दोहे) १) उठाओ पल पल जग में, जीवन का आनंद। चिंता व्यर्थ की त्यागें, रहें सदा सानंद।।   २) खुशी खुशी जो बीत गए,क्षण वही अमृत जान। बिना पक्ष और भेद किए,आओ सबके काम।।   ३) यह आनंद जीवन का, कस्तूरी के समान। साथ रहे व संग चले, कठिन…