छंद घूंघट | मनहरण घनाक्षरी

छंद घूंघट मान मर्यादा रक्षक, लाज शर्म धर ध्यान। चार चांद सौंदर्य में, घूंघट सजाइए। प्रीत की फुहार प्यारी, सुंदर सुशील नारी। पिया मन को लुभाती, घूंघट लगाइए। गौरी...

वह आदमी | Kavita Wah Aadmi

वह आदमी ( Wah Aadmi )   वह आदमी दो कमरों के मकान में बड़ा खुश था कि अन्ना - आन्दोलन ने उसे राजनीति के कच्चे शीशे में जड़ा...

आज भी बेटियाँ | Kavita Aaj Bhi Betiyan

आज भी बेटियाँ ( Aaj Bhi Betiyan )   सिल बट्टा घिसती है, खुद उसमे पिसती है, बूँद बूँद सी रिसती है, मगर फिर भी हँसती, आज भी बेटियाँ गाँव...

शर्मसार मानवता | Kavita Sharmsar Manavata

शर्मसार मानवता ( Sharmsar Manavata )   धधकती स्वार्थ की ज्वाला में पसरती पिशाच की चाह मेंभटकती मरीचा की राह में चौंधराती चमक की छ्द्म मेंअन्वेषी बनने की...

थकान | Kavita Thakan

थकान ( Thakan )   जरूरी नहीं कि हर अंधेरा रोशनी के साथ हि पार किया जाय हौसलों के दीये कुछ दिल में भी जलाये रखा करिये माना कि गम...

वासंतिक नवरात्र द्वितीय | Kavita Vasantik Navratri

वासंतिक नवरात्र द्वितीय   जीवन पथ ज्योतिर्मय, मां ब्रह्मचारिणी उपासना से नवरात्र द्वितीय परम बेला, रज रज आध्यात्म सराबोर । भक्तजन शीर्ष स्तुति भाव, भक्ति आह्लाद चारों ओर । मां ब्रह्मचारिणी...

ईद मुबारक शायरी | Eid Mubarak Shayari in Hindi

ईद मुबारक शायरी ( Eid Mubarak Shayari ) खोल दीजिए रंजिशों की अब यह बेड़ियाँ, ख़त्म कीजिए नफ़रतों की यह सरगर्मियाँ, मिट जाने दीजिए ये फ़ासले जो...

वोटवा तव हर केहू चाहे | Vote Par Bhojpuri Kavita

वोटवा तव हर केहू चाहे   वोटवा तव हर केहू चाहे, आपन कहावेवाला के बा। जीतले पे उड़ि ऊ सुगनवाँ हो, चेहरा दिखावेवाला के बा।पांच साल मुड़ि-मुड़ि रहिया निहरली, परछाईं...

ईद सबके लिए खुशियाँ नहीं लाती | Eid Kavita

ईद सबके लिए खुशियाँ नहीं लाती   रोजे हुए मुकम्मल अब ईद आई है कहाँ से लाऊँ? घी शक्कर सेवइयां नये अंगवस्त्र... बच्चों की है जिद जबरदस्त! ईदगाह जाने की है जल्दी कैसे...

कर्म से तू भागता क्यों | Kavita Karm

कर्म से तू भागता क्यों ?   क्या बंधा है हाथ तेरेकर्म से तू भागता क्यों?पाव तेरे हैं सलामतफिर नहीं नग लांघता क्यों?नाकामियों ने है डरायावीर...